Saturday, August 28, 2010

पीओके के इलाके चीन को सौंप रहा है पाक

पीओके के इलाके चीन को सौंप रहा है पाक


न्यू यॉर्क।। चीन ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में लगभग 11 हजार सैनिक तैनात किए हैं यही नहीं, न्यूयॉर्क टाइम्स में छपी रिपोर्टों के मुताबिक पाकिस्तान चीन को इस इलाके का वास्तविक नियंत्रण भी सौंप रहा है। गिलगिट-बल्टिस्तान का यह इलाका सामरिक रूप से महत्वपूर्ण है और यह इलाका पाकिस्तानी कब्जे का विरोध कर रहा है। इन इलाकों में चीन का वर्चस्व बढ़ता जा रहा है। चीन यहां हाई स्पीड रेल ट्रैक बिछाकर खाड़ी देशों तक पहुंच बनाने के मंसूबे बांध रहा है। 

न्यूयॉर्क टाइम्स ने कहा है कि तालिबान से सहयोग और चीन को खाड़ी तक पहुंचने में मदद करना, ये दो ऐसी बातें हैं जो साबित करती हैं कि पाकिस्तान अमेरिका का दोस्त नहीं है। अखबार के मुताबिक, गिलगिट-बल्टिस्तान में दो महत्वपूर्ण नई बातें हुई हैं। पहली वहां पाकिस्तानी शासन के खिलाफ जबर्दस्त विद्रोह सुलग रहा है और दूसरी यह कि वहां चीनी पीपल्स लिबरेशन आर्मी के 7000 से 11000 सैनिकों की घुसपैठ हो गई है। यह इलाका दुनिया भर से कटा हुआ है। 


अखबार के मुताबिक, पाकिस्तान के रास्ते चीन सामरिक रूप से महत्वपूर्ण इस क्षेत्र में बेरोकटोक सड़क और रेल संपर्क सुनिश्चित करने के लिए इस पर अपनी पकड़ बनाना चाहता है ताकि वह खाड़ी देशों तक पहुंच सके। पेइचिंग इन रास्तों से पूर्वी चीन से बलूचिस्तान के गवादार, पासनी और ओरमरा में चीन द्वारा हाल ही में बनाए गए पाकिस्तानी नौसेना अड्डों पर जरूरी सामान और ऑयल टैंकर पहुंचा पाएगा। ये इलाके खाड़ी क्षेत्र से महज 48 घंटों की दूरी पर हैं। 

'न्यू यॉर्क टाइम्स' ने कहा है, गिलगिट-बल्टिस्तान में पहुंच चुके चाइनीज सैनिक रेलमार्ग पर काम करने वाले हैं। कुछ कराकोरम हाइवे, जो चीन के जिनजियांग प्रांत को पाकिस्तान से जोड़ने के लिए बनाया गया है, के विस्तार में जुटे हैं। बाकी सैनिक बांधों, एक्सप्रेस-वे और दूसरे प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं। 

अखबार के अनुसार गुप्त स्थानों पर बन रही 22 सुरंगों पर रहस्य बना हुआ है क्योंकि वहां पाकिस्तानियों के जाने पर भी मनाही है। बहुत मुमकिन है कि ये सुरंगें ईरान से चीन को प्रस्तावित गैस पाइपलाइन के लिए जरूरी होंगी। यह पाइपलाइन गिलगिट के काराकोरम से ही होकर गुजरेगी। 

न्यूयॉर्क टाइम्स ने आशंका जताई है कि इनका इस्तेमाल मिसाइलों को स्टोर करने के लिए भी हो सकता है। विदेशी खुफिया सूत्रों, पाकिस्तानी मीडिया और पाकिस्तानी मानवाधिकार के हवाले से कहा गया है कि पहले पीएलए के निर्माण दल अस्थायी शिविरों में रहते थे और काम पूरा करने पर लौट आते थे लेकिन अब वे बडे रिहायशी परिसरों का निर्माण कर रहे जो लंबे समय तक रहने के लिए डिजाइन किए हुए हैं।

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