Wednesday, November 3, 2010

Pasankusha Ekadashi Ashwin Shukla Paksh Sep - Oct

Pasankusha Ekadashi Ashwin Shukla Paksh Sep - Oct

Balveer Singh Rajawat SUHKI JIVAN KE LIYE SABHI PAPO KA NAAS ANIWARIYA HAI. DOS CHAYE PURVA JANAM KE HO YA ES JANAM KE..



[ TANTRA KI SFRESTYA SADHNA]



:- PAPANKUSHA EKADASHI -:
" OM KLEEM AIM PAPNI SAMAN NAASHYA OM FAT "



21 MALA AAJ HI KAREN
PARINAM AAP KHUD HI DEKGE.........OMMMMMMMMMMMMMM
 
King Yudhishthar asked to Lord Krishna...: hey Madhusudan, please tell me the glory of the ekadashi of
Ashwin Shukla Paksh ..?"


Lord Krishna said ,"Hey king, the ekadashi of Ashwin Shukla Paksh,is known as Paapankusha Ekadashi
It just washes away all the paapas[sins],it provides one with heaven and moksha[deliverance],it provides one
good health, money and wealth.Even if a person keeps this fast just like that, he will not ever have to experience the tortute of the yama[God of death]."


"Hey king with the fast of ekadashi, and jaagran { night awakening}, people go easily
to the Vaikuntha, by having a divine form with four arms,decorated with ornaments and yellow clothes,on a plane having a flag of Garuda.Hey king of kings, such people deliver, rescue 10 previous generations of the maternal side,10 previous generations of the paternal side, and 10 previous generations of wife's side one should worship Vasudas on that day.The result that Abstinent sages get after doing hard tapasya [meditation] for years that very result one gets only by doing pranaam to the flag of Garuda."

"Those men who give alms of gold,sesame,cow,land,grain,water,shoes,umbrella,he never sees yamraj{God of death}
hey king,even the poor people should meditation,holy bath,meditation,yagna, alms on his accord and should make his life blessful.
Those people who do yagna,bath, japa,meditation,and do good karmas,they never experience the toture of yama.The people
who are long lived,rich,healthy,they have done good karmas in their previous lives.What else can be said about this, those who do good karmas,
go to heaven and those who do bad karmas rot in hell."
Hey king I have told you the story of Paapankusha Ekadashi, any further questions..?"



पापांकुशा एकादशी

युधिष्ठिर ने पूछा : हे मधुसूदन ! अब आप कृपा करके यह बताइये कि आश्विन के शुक्लपक्ष में किस नाम की एकादशी होती है और उसका माहात्म्य क्या है ?

भगवान श्रीकृष्ण बोले : राजन् ! आश्विन के शुक्लपक्ष में जो एकादशी होती है, वह ‘पापांकुशा’ के नाम से विख्यात है । वह सब पापों को हरनेवाली, स्वर्ग और मोक्ष प्रदान करनेवाली, शरीर को निरोग बनानेवाली तथा सुन्दर स्त्री, धन तथा मित्र देनेवाली है । यदि अन्य कार्य के प्रसंग से भी मनुष्य इस एकमात्र एकादशी को उपास कर ले तो उसे कभी यम यातना नहीं प्राप्त होती ।

राजन् ! एकादशी के दिन उपवास और रात्रि में जागरण करनेवाले मनुष्य अनायास ही दिव्यरुपधारी, चतुर्भुज, गरुड़ की ध्वजा से युक्त, हार से सुशोभित और पीताम्बरधारी होकर भगवान विष्णु के धाम को जाते हैं । राजेन्द्र ! ऐसे पुरुष मातृपक्ष की दस, पितृपक्ष की दस तथा पत्नी के पक्ष की भी दस पीढ़ियों का उद्धार कर देते हैं । उस दिन सम्पूर्ण मनोरथ की प्राप्ति के लिए मुझ वासुदेव का पूजन करना चाहिए । जितेन्द्रिय मुनि चिरकाल तक कठोर तपस्या करके जिस फल को प्राप्त करता है, वह फल उस दिन भगवान गरुड़ध्वज को प्रणाम करने से ही मिल जाता है ।

जो पुरुष सुवर्ण, तिल, भूमि, गौ, अन्न, जल, जूते और छाते का दान करता है, वह कभी यमराज को नहीं देखता । नृपश्रेष्ठ ! दरिद्र पुरुष को भी चाहिए कि वह स्नान, जप ध्यान आदि करने के बाद यथाशक्ति होम, यज्ञ तथा दान वगैरह करके अपने प्रत्येक दिन को सफल बनाये ।

जो होम, स्नान, जप, ध्यान और यज्ञ आदि पुण्यकर्म करनेवाले हैं, उन्हें भयंकर यम यातना नहीं देखनी पड़ती । लोक में जो मानव दीर्घायु, धनाढय, कुलीन और निरोग देखे जाते हैं, वे पहले के पुण्यात्मा हैं । पुण्यकर्त्ता पुरुष ऐसे ही देखे जाते हैं । इस विषय में अधिक कहने से क्या लाभ, मनुष्य पाप से दुर्गति में पड़ते हैं और धर्म से स्वर्ग में जाते हैं ।

राजन् ! तुमने मुझसे जो कुछ पूछा था, उसके अनुसार ‘पापांकुशा एकादशी’ का माहात्म्य मैंने वर्णन किया । अब और क्या सुनना चाहते हो?

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