गुजरात में मुसलमान खुश और खुशहाल, दंगों को पीछे छोड़ आगे बढ़ें: देवबंद
भाषा | नई दिल्ली, 20 जनवरी 2011 | अपडेटेड: 15:03 IST
भारत की विश्व प्रसिद्ध इस्लामी संस्था ‘दारुल उलूम देवबंद’ के नए कुलपति (मुहतमिम) मौलाना गुलाम मोहम्मद वस्तानवी का मानना है कि गुजरात के ज्यादातार मुसलमान खुश और खुशहाल हैं और मुसलमानों को वहां साल 2002 में हुए दंगों को पीछे छोड़कर आगे बढ़ना है.
गुजरात में मुसलमानों के अच्छे हालात कबूल करने के साथ ही वस्तानवी ने हालांकि राज्य के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के बारे में कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया और कहा कि उन्हें जनता ने चुना है.
वस्तानवी ने गुजरात के मुसलमानों के हालात से जुड़े सवाल पर कहा, ‘मेरा यह मानना है कि गुजरात के ज्यादातर मुसलमान खुशहाल हैं. कुछ लोगों, जो किसी न किसी मामले से घिरे हैं, उन्हें छोड़कर राज्य के ज्यादातर मुसलमान अपने काम में खुश हैं. उनके आर्थिक हालात भी अच्छे हैं.’
खुद वस्तानवी के ताल्लुक गुजरात से ही है. राज्य के मुख्यमंत्री मोदी और उनकी सरकार के बारे में पूछे जाने पर वस्तानवी ने कहा, ‘देखिए, नरेंद्र मोदी मुख्यमंत्री हैं. उन्हें आवाम ने चुना है. ऐसे में मैं उनके बारे में कोई राय नहीं दे सकता. यह जनता से पूछा जाए कि मोदी और उनकी सरकार कैसी है. मैं उनके बारे में क्या कह सकता हूं.’
गुजरात में वर्ष 2002 के गोधरा कांड के बाद भड़के दंगों के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘मुसलमानों को इसे पीछे छोड़कर आगे बढ़ना है. मेरे कहने का यह मतलब नहीं है कि हम इस घटना को हमेशा के लिए भूल जाएं. मैं इस बारे में और कुछ नहीं कहूंगा क्योंकि इस पर तो अदालत फैसला करेगी. वैसे भी मैं इस दंगे के बारे में ज्यादा कुछ नहीं जानता क्योंकि महाराष्ट्र में रहता हूं.’
इन दिनों ‘हिंदू आतंकवाद’ पर छिड़ी बहस के संदर्भ में वस्तानवी ने कहा, ‘देखिए, आतंकवाद में कोई भी शामिल हो, उसे सजा मिलनी चाहिए. आतंकवाद को कोई नाम नहीं देना चाहिये. मेरा इतना जरूर कहना है कि आतंकवाद के खिलाफ हिंदू, मुसलमान और देश के सारे तबकों को खड़ा होना पड़ेगा. यह हमारे मुल्क के लिए बड़ा खतरा है.’
भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी की मुसलमानों को साथ जोड़ने की मुहिम के बारे में उन्होंने कहा कि यह पूरी तरह से राजनीतिक विषय है, इसलिए वह इस पर कोई राय नहीं देंगे.
वस्तानवी ने कहा, ‘मैं जिस पद पर हूं, वहां से कोई राजनीतिक बयान नहीं दे सकता. किसी पार्टी के पक्ष या विपक्ष में कुछ नहीं बोलूंगा.’ वस्तानवी दारुल उलूम के ऐसे पहले कुलपति बन गये हैं, जो इस्लामी विद्वान होने के साथ ही आधुनिक तालीम पर भी अच्छी पकड़ रखते हैं. वह मैनेजमेंट में स्नातकोत्तर हैं. गुजरात के सूरत जिले के वस्तान गांव में जन्मे वस्तानवी ने शुरुआती तालीम मदरसे में ली और बाद में महाराष्ट्र से एमबीए किया.
वस्तानवी मजहबी तालीम के साथ आधुनिक शिक्षा के बहुत बड़े हिमायती हैं. वह सोशल नेटवकि’ग वेबसाइट ‘फेसबुक’ पर भी मौजूद हैं.
मौलाना मरगूब रहमान के इंतकाल के बाद इसी महीने उन्हें देश की सर्वोच्च इस्लामी संस्था दारुल उलूम देवबंद का कुलपति चुना गया है. दारुल उलूम के 200 वर्षों की तारीख में यह पहला मौका है, जब गुजरात का कोई शख्स इसका कुलपति बना है.
भाषा | नई दिल्ली, 20 जनवरी 2011 | अपडेटेड: 15:03 IST
भारत की विश्व प्रसिद्ध इस्लामी संस्था ‘दारुल उलूम देवबंद’ के नए कुलपति (मुहतमिम) मौलाना गुलाम मोहम्मद वस्तानवी का मानना है कि गुजरात के ज्यादातार मुसलमान खुश और खुशहाल हैं और मुसलमानों को वहां साल 2002 में हुए दंगों को पीछे छोड़कर आगे बढ़ना है.
गुजरात में मुसलमानों के अच्छे हालात कबूल करने के साथ ही वस्तानवी ने हालांकि राज्य के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के बारे में कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया और कहा कि उन्हें जनता ने चुना है.
वस्तानवी ने गुजरात के मुसलमानों के हालात से जुड़े सवाल पर कहा, ‘मेरा यह मानना है कि गुजरात के ज्यादातर मुसलमान खुशहाल हैं. कुछ लोगों, जो किसी न किसी मामले से घिरे हैं, उन्हें छोड़कर राज्य के ज्यादातर मुसलमान अपने काम में खुश हैं. उनके आर्थिक हालात भी अच्छे हैं.’
खुद वस्तानवी के ताल्लुक गुजरात से ही है. राज्य के मुख्यमंत्री मोदी और उनकी सरकार के बारे में पूछे जाने पर वस्तानवी ने कहा, ‘देखिए, नरेंद्र मोदी मुख्यमंत्री हैं. उन्हें आवाम ने चुना है. ऐसे में मैं उनके बारे में कोई राय नहीं दे सकता. यह जनता से पूछा जाए कि मोदी और उनकी सरकार कैसी है. मैं उनके बारे में क्या कह सकता हूं.’
गुजरात में वर्ष 2002 के गोधरा कांड के बाद भड़के दंगों के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘मुसलमानों को इसे पीछे छोड़कर आगे बढ़ना है. मेरे कहने का यह मतलब नहीं है कि हम इस घटना को हमेशा के लिए भूल जाएं. मैं इस बारे में और कुछ नहीं कहूंगा क्योंकि इस पर तो अदालत फैसला करेगी. वैसे भी मैं इस दंगे के बारे में ज्यादा कुछ नहीं जानता क्योंकि महाराष्ट्र में रहता हूं.’
इन दिनों ‘हिंदू आतंकवाद’ पर छिड़ी बहस के संदर्भ में वस्तानवी ने कहा, ‘देखिए, आतंकवाद में कोई भी शामिल हो, उसे सजा मिलनी चाहिए. आतंकवाद को कोई नाम नहीं देना चाहिये. मेरा इतना जरूर कहना है कि आतंकवाद के खिलाफ हिंदू, मुसलमान और देश के सारे तबकों को खड़ा होना पड़ेगा. यह हमारे मुल्क के लिए बड़ा खतरा है.’
भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी की मुसलमानों को साथ जोड़ने की मुहिम के बारे में उन्होंने कहा कि यह पूरी तरह से राजनीतिक विषय है, इसलिए वह इस पर कोई राय नहीं देंगे.
वस्तानवी ने कहा, ‘मैं जिस पद पर हूं, वहां से कोई राजनीतिक बयान नहीं दे सकता. किसी पार्टी के पक्ष या विपक्ष में कुछ नहीं बोलूंगा.’ वस्तानवी दारुल उलूम के ऐसे पहले कुलपति बन गये हैं, जो इस्लामी विद्वान होने के साथ ही आधुनिक तालीम पर भी अच्छी पकड़ रखते हैं. वह मैनेजमेंट में स्नातकोत्तर हैं. गुजरात के सूरत जिले के वस्तान गांव में जन्मे वस्तानवी ने शुरुआती तालीम मदरसे में ली और बाद में महाराष्ट्र से एमबीए किया.
वस्तानवी मजहबी तालीम के साथ आधुनिक शिक्षा के बहुत बड़े हिमायती हैं. वह सोशल नेटवकि’ग वेबसाइट ‘फेसबुक’ पर भी मौजूद हैं.
मौलाना मरगूब रहमान के इंतकाल के बाद इसी महीने उन्हें देश की सर्वोच्च इस्लामी संस्था दारुल उलूम देवबंद का कुलपति चुना गया है. दारुल उलूम के 200 वर्षों की तारीख में यह पहला मौका है, जब गुजरात का कोई शख्स इसका कुलपति बना है.
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