Saturday, December 18, 2010

2. Trayodashi fast story of the Trayodashi/Pradosh falling on a Monday

2. Trayodashi fast story of the Trayodashi/Pradosh falling on a Monday


Sage Suta spoke '' Hey Sages, Now let me tell you the story of the fast of Trayodashi falling on a Monday.By keeping this fast Lord Shiv and Devi Paarvati are pleased.In the morning , one should take bath and meditate upon Shiv, Paarvati ji and worship both of them.One should chant Aum Namah Shivaya 108 times and pray ''Hey Almighty ! I am stuck in this ocean of sorrows, pressed by the loans and hurt by the evil planets, please save me....!''


Sages Shaunak and others spoke ''Hey Suta ji, please tell us, Who kept this fast, and what fortune did he get ?''


Suta ji spoke '' In a city, there used to live a poor widowed Brahmini. She had a son, and used to beg for a living.She used to beging begging right from the morning with her son .One day she was coming back after begging and she saw a boy, he was in a very bad condition and she felt pity over him and hence she took him with her to her place.

That boy was actually a the proince of the Vidharbha country and a neighbour king had invaded his father's kingdom and had won that kingdom.Hence that prince was wandering.Now that prince started getting raised as a Brahmin boy in her house.One day Brahmin boy and the prince were playing . They were seen by the Gandharva daughters and they got attracted towards the prince.Hence the brahmin boy had came back home, but the prince stayed there talking to that gandharva girl.Next day the divine girl took her parents with her and showed them the prince.Her parents liked him.Within some days her parents had a dream in which Lord Shiv wads telling them to marry their daughter to that prince.And hence they did that.The poor Brahmin woman was ordered by the Rishis{ sages} to keep the fast of Trayodashi / Pradosh .Hence with its effect and along with the help of the army of the gandharvaas, the prince defeated his enemies and got back his father's kingdom and started living happily there.He made the Brahmin lady's son as the Prime Minister of his kingdom.As the Brahmin woman's family and the prince had attained all the fortunes , Lord Shiiv alsoio gives fortunes to the devotees who keep this fast.Hence because of this the fast of Trayodashi/Pradosham became very glorious.

Aum Namah Shivaya


2. सोमवार प्रदोष / त्रयोदशी व्रत कथा

सूत जी बोले '' हे ऋषिवरों ! अब मैं सोम त्रयोदशी व्रत का महातम्य बताता हूँ । इस व्रत को करने से शिव पार्वती जी प्रसन्न होते हैं । प्रातः स्नान आदि करके शिवपार्वती जी का ध्यान करके पूजन करें और अर्घ्य दें । ॐ नमः शिवाय १०८ बार जपें फिर स्तुति करें '' हे प्रभु ! मैं इस दुःख सागर में गोते खता हुया , ऋण के भार से दबा, ग्रहदशा से ग्रसित हूँ हे दयालु प्रभो मेरी रक्षा करो ।''

शौनक आदि ऋषि बोले '' हे सूत जी कृपया ये बताएं कि यह व्रत किसने किया और क्या फल पाया ?''


सूत जी बोले '' एक नगर में एक ब्राह्मणी रहती थी उसके पति का स्वर्गवास हो गया था । बहुत गरीब थी इसलिए सुबह से ही अपने पुत्र के साथ भीख मांगनें चली जाती और जो भी भिक्षा से प्राप्त होता उसी से अपना और अपने पुत्र का पेट पालती थी ।

एक दिन ब्राह्मणी भीख मांग कर लौट रही थी , उसे एक लड़का मिला , उसकी दशा बहुत खराब थी , ब्राह्मणी को उसपर दया आ गयी इसलिए वो उसे अपने साथ घर ले आई ।

वह लड़का विदर्भ का राजकुमार था । पड़ोसी राजा ने उसके पिता पर आक्रमण करके उसके राज्य पर कब्ज़ा कर लिया इसलिए वो मारा मारा फिर रहा था ।ब्रह्मणि के घर में वह ब्राह्मण कि तरह पालने लगा । एक दिन ब्राह्मण कुमार और राजकुमार खेल रहे थे उन्हें वहां गन्धर्व कन्याओं ने देख लिया । वे राजकुमार पर मोहित हो गयीं ब्राह्मण कुमार तो घर लौट आया पर राजकुमार अंशुमती नामक गन्धर्व कन्या से बात करता रह गया । दुसरे दिन अंशुमती अपने माता पिता को राजकुमार से मिलाने के लिए ले आई उन्हें राजकुमार पसंद आया कुछ ही दिनों में उन्हें स्वप्न में आदेश दिया कि वे अपनी कन्या का विवाह राजकुमार से करवा दें । फलतः उन्होने अपनी कन्या का विवाह राजकुमार से कर दिया ब्रह्मणि को ऋषियों ने आज्ञा दे राखी थी कि वह सदा प्रदोष / त्रयोदशी व्रत करती रहे । उसके व्रत के प्रभाव और गन्धर्व सेनायों कि सहायता से सज्कुमार ने विधार्भ से शत्रुओं को मार भगाया और अपने पिता के राज्य को पुनः प्राप्त करके वहां आनंदपूर्वक रहने लगा । राजकुमार ने ब्राह्मण को अपना प्रधानमंत्री बनाया जिस प्रकार राजकुमार और ब्रह्मण कुमार के त्रयोदशी /प्रदोष व्रत को करने से दिन फिर गए ,उसी प्रकार भगवान् शंकर अपने सभी व्रत करने वाले भक्तों के दिन भी फेरते हैं । तभी से संसार में त्रयोदशी / प्रदोष व्रत का बड़ा महत्व है ।


ॐ नमः शिवाय

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