Saturday, December 18, 2010

3. Trayodashi fast story of the Trayodashi fast falling on a Tuesday

3. Trayodashi fast story of the Trayodashi fast falling on a Tuesday


 
Sage Suta spoke : ''Now I will narrate the story related to the fast falling on a Tuesday.This day 's fast destroys the diseases .On this day,one who keeps the fast, should eat wheat with sugarcane juice's cake.One should offer red flowers to the God and should wear red clothes.This fast destroys the sins.


Once upon a time there used to live an old lady in a city.She had a son named Mangaliya.The old lady had so much faith on Lord Hanuman.She used to fast on every Tuesday for him.She also did not dig the ground and did not coat the ground on the Tuesday {it is forbidden }.Hence she kept on doing that fast for so long.So once Lord Hanuman ji, thought in his mind of testing her faith.Hence he came to her door in the form of a renouncer and spoke , 'Is there any devotee of Hanuman ji, which can fulfill my wish?'' When the old lady heard that, she came out and asked , ''What is your wish Maharaj?''

Hanuman ji in the form of the renouncer spoke '' I am hungry, provide me food and hence coat the earth.Now, he was asking for a thing which was forbidden hence the old lady requested him with folded hands that ''please, forgive me , but I can not coat the earth today , and neither I can digg the earthh today.Please do not ask me to do these two things, otherwise I am ready to do anything to serve you.Hence Hanuman ji asked her, to call upon her son and to make him lay down upside downwards and he will ignite a fire upon his back and will cook food .Hearing this the old lady was frightened , but still since she had given him her word so hence, she presented her son in front of him.And hence he did ignite the fire upon his back and did cook his food.


The old lady with a heavy heart went inside the home.When the food was prepared by the renoncer, he asked the old lady to call upon her son , Mangaliya to have the food with them.The old lady with the tears in her eyes spoke, please do not repeat his name in front of me., it hurts my heart. But he kept on saying that again and again and hence she called upon her son.When she did that, her son Mangaliya, came out of the house running and smiling.When she saw her son alive she was utterly surprised and fell upon the feet of the renouncer. Hence now, he showed his real form.Seeing Lord Hanuman, in her home, the old lady became so happy as she got the result of her worship to him.

Aum Namah Shivaya

मंगलवार प्रदोष /त्रयोदशी व्रत कथा

सूत जी बोले '' अब मैं मंगल त्रयोदशी /प्रदोष व्रत की विधि कहता हूँ ।मंगलवार का दिन व्याधियों का नाशक है ।इस व्रत में एक समय व्रती को गेहूं और गुड़ का भोजन करना चाहिए । देव प्रतिमा पर लाल रंग के पुष्प चढ़ाने चाहुयें और लाल रंग के ही वस्त्र धारण करने चाहियें इस व्रत को करने से सब पाप दूर हो जाते हैं ।

प्राचीन काल की बात है एक नगर में एक वृद्धा रहती थी । उसका मंगलिया नाम का एक पुत्र था । वृद्धा को हनुमान जी पर बहुत श्रद्धा थी । वह प्रत्येक मंगलवार को हनुमान जी का व्रत रखकर यथा विधि उनका भोग लगाती थी ।इसके साथ ही वो मंगलवार को न तो घर लीपती थी और न ही मिटटी खोदती थी । इसी प्रकार व्रत रखते हुए जब उसे काफी देर हो गयी तो हनुमान जी ने उसकी परीक्षा लेने की सोची ।वे साधू का वेश बनाकर उसके द्वार पर जा पहुंचे और पुकारा '' है कोई हनुमान जी का भक्त जो हमारी इच्छा पूरी करे ?'' वृद्ध ने ये पुकार सुनी तो बहार आ गयी और पुछा '' महाराज क्या आज्ञा है ?'' साधू वेशधारी हनुमान जी बोले की '' मैं बहुत भूखा हूँ , भोजन खाऊंगा तू थोड़ी सी ज़मीन लीप दे वृद्धा बड़ी दुविधा में पड़ गयी अंत में हाथ जोड़कर प्रार्थना करने लगी ..'' हे महाराज लीपने और मिटटी खोदने के अतिरिक्त जो भी काम आप चाहें वह मैं करने को तैयार हूँ ।''साधू ने तीन बार प्रतीक्षा करने के बाद कहा '' तू अपने बेटे को बुला , मैं उसे उल्टा लेता कर , उसकी पीठ पर आग जलाकर भोजन बनाऊंगा । वृद्धा ने सुना तो उसके पैरों तले ज़मीन खिसक गयी । लेकिन क्यूंकि अब वो वचन दे चुकी थी तो उसने मंगलिया को बुलाकर महाराज के हवाले कर दिया और महाराज भी कहाँ मानने वाले थे , उन्होंने भी वृद्ध के हाथों से ही मंगलिया को उल्टा लेटाकर , उसकी पीठ पर आग जलवाई ।

आग जलाकर वृद्धा , बड़े दुखी मन से घर के अन्दर जा घुसी साधू जब भोजन बना चूका था तो उसने वृद्धा को बुलाकर कहा कि वह मंगलिया को पुकारे ताकि वो भी भोग लगा ले वृद्धा ने आँखों में आंसू भरकर कहा ,'' उसका नाम लेकर मेरे मन को मत और दुखाओ'' । लेकिन साधू महाराज न माने तो वृद्धा को मंगलिया को भोजन के लिए पुकारना पड़ा ।पुकारने कि देर थी कि मंगलिया हंसता हुआ घर से दौड़ा आया ।मंगलिया को जीता जागता देखकर व्रीद्धा को बड़ा सुखद आश्चर्य हुआ वह साधू महाराज के चरणों में गिर गयी ।

साधू महाराज ने उसे अपने असली रूप के दर्शन दिए । हनुमान जी को अपने आंगन में देखकर वृद्धा को लगा कि जीवन सफल हो गया ।


ॐ नमः शिवाय

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