Saturday, December 18, 2010

6. Trayodashi/Pradosh fast falling on a Friday. शुक्रवार प्रदोष /त्रयोदशी व्रत कथा

6. Trayodashi/Pradosh fast falling on a Friday. शुक्रवार प्रदोष /त्रयोदशी व्रत कथा

 
The fast of Friday Trayodashi is similar to Monday Trayodashi.In this fast there is an importance of consuming white things such as pudding etc.

Sage Suta spoke '' In ancient times there used to live three friends in a city.They were really close friends.One of them was a prince, the other one was the son of a Brahmin and the third one was the son of a businessman.Both Prince and Brahmin were married, and the businessman's son was also married but he did not have yet the celebration of Gauna, by which the married woman officially leaves her father's home and starts living in her husband's home.


One day the three friends were talking about women.The son of the Brahmin spoke that,''Without a woman, a house is like a place where ghosts live.''Hearing these words of his Brahmin friend, the son of the businessman, decieded to bring his wife to his own home now.He told his parents about his decision, but since it was an inauspicious time according to the astrology, Shukra { Venus } was down, now when Venus is down, then the time period is considered to be inauspicious to start new auspicious things, hence his parents dissuaded him from doing so.But he did not listen to themand went to the home of her wife's parents, they also dissuaded him, but he was head strong and hence they bid their daughter goodbye with her husband.


Now the couple had just left the home, on the way the wheel of their cart along with the leg of an ox got broken.His wife got seriously injured too.But he continued his journey.Further the were looted by the Bandits When he finally reached his home with his wife, he got bitten by a snake.Hence his father called upon the doctors, after seeing him the doctors declared that he will die within three days.


Now the son of the Brahmin came to know about this He told the businessman that send your boy back with his wife to her home.All these troubles in his life have occured because he has braought his wife under the inauspicious time when the Venus is set, if he reaches there, he will survive.Hence his father did just that and sent his son with his wife back and on their way , his son started recovering.Hence all the problems were solved and they strated living happily they attained heaven after their lives.


शुक्रवार प्रदोष /त्रयोदशी व्रत कथा

शुक्रवार प्रदोष /त्रयोदशी व्रत पूजा विधि सोम प्रदोष के सामान ही है ।इसमें श्वेत रंग जैसे खीर आदि पदार्थ ही सेवन करने का महत्व होता है ।

सूत जी बोले -'' प्राचीन काल की बात है , एक नगर मैं तीन मित्र रहते थे , तीनों में घनिष्ठ मित्रता थी ।उनमें से एक राजकुमार , दुरसा ब्राह्मन पुत्र और तीसरा सेठ का पुत्र था राजकुमार और ब्राह्मण पुत्र का विवाह हो चूका था , सेठ का विवाह के बाद गोना नहीं हुआ था ।

एक दिन तीनों मित्र आपस में स्त्रियों की चर्चा कर रहे थे ब्राह्मण पुत्र ने स्त्रियों की प्रशंसा करते हुए कहा कि - '' नारीहीन घर भूतों का डेरा होता है । '' सेठ पुत्र ने यह वचन सुनकर अपनी पत्नी को लाने का तुरंत निश्चय किया । सेठ पुत्र अपने घर गया और अपने माता - पिता से अपना निश्चय बताया ।उन्होने बेटे से कहा कि शुक्र देवता डूबे हुए हैं इन दिनों बहु - बेटियों को उनके घर से विदा कर लाना शुभ नहीं , अतः शुक्र उदय के बाद तुम अपनी पत्नी को विदा करा लाना ।'' सेठ पुत्र परन्तु अपनी जिद्द से टस से मस नहीं हुआ और अपनी ससुराल जा पहुंचा । सास ससुर को उसके इरादे का पता चला उन्होने भी उसे समझाने कि कोशिश कि किन्तु वह नहीं माना उन्हें विवश होकर अपनी कन्या को विदा करना पड़ा ।


ससुराल से विदा होकर पति - पत्नी नगर से बाहर निकले ही थे कि उनकी बैलगाड़ी का पहिया टूट गया और एक बैल कि टांग टूट गयी ।पत्नी को भी काफी चोट आई सेठ पुत्र ने आगे चलने का प्रयत्न जारी रखा तभी डाकुओं से भेंट हो गयी और वे धन धन्य लूटकर चले गए । सेठ पुत्र पत्नी सहित रोता पीटता अपने घर पहुंचा जाते ही उसे सांप ने डस लिया ।उसके पिता ने वैदों को बुलाया , उन्होने उसे देखने के बाद घोषणा की कि सेठ पुत्र तीन दिन में मर जायेगा ।

उसी समय इस घटना का पता ब्राह्मण पुत्र को लगा । उसने सेठ से कहा कि अपने लडके को पत्नी सहित ससुराल वापिस भेज दो । यह साड़ी बाधाएं इसलिए आई हैं कि आपका पुत्र शुक्रास्त के समय में पत्नी को विदा करा लाया है , यदि यह वहां पहुँच गया तो बच जायेगा ।सेठ को ब्राह्मण पुत्र कि बात जँच गयी और अपनी पुत्रवधू और पुत्र को वापिस भेज दिया वहां पहुंचते ही सेठ पुत्र कि हालत ठीक होनी शुरू हो गयी ।शेष जीवन आनंद पूर्वक व्यतीत किया और अंत में पति पत्नी ने स्वर्ग को प्राप्त किया ।''

ॐ नमः शिवाय

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