Saturday, December 18, 2010

4. Story of the fast of Trayodashi falling on a Wednesday. बुधवार प्रदोष / त्रयोदशी व्रत कथा

4. Story of the fast of Trayodashi falling on a Wednesday. बुधवार प्रदोष / त्रयोदशी व्रत कथा


1. On this day of fast one should eat only once in a day.

2. In this fast the usage of green things is important.

3. This is a fast dedicated to Lord Shiv.He is worshiped with incense , Bel leaves etc.


Sage Suta narrates its story.In ancient times , there was a man, he was newly married.When his wife went to her parent's place to meet them for the first time after getting married, he after some days went there to bring her back home.He told his mother in law that he will be taking back his wife on Wednesday.His mother-in-law, father-in-law, brother-in-law, and sister-in-law, all of them advised him that he should not bring her back on a wednesday.As it is considered to be very inauspicious.

But he did not listen to any of them.Hence the family of his wife bid her goodbye with a heavy heart on a wednesday.Both husband and wife were travelling through the cart.When they came out of one city, the wife felt thirsty.Hence he went to bring water for her in a pot.When he came back, he was surprised to see his wife laughing and talkning to another man and drinking water from his pot.He became mad with anger and started to fight with the man.But he was again surprised to see that the other man was his look alike.

When both of them , looking exactly like each other, kept on fighting for a long time , then a mob gathered around them and a policeman also came there.Policeman asked the woman, that who was her husband out of the two.The poor woman was dumbfolded as noth the men looked exactly the same.


Now seeing his family getting ruined like this, the real husband's eyes got filled with tears and he prayed to Lord Shiv, ''Hey Lord , Please save me and my wife.It was my mistake to bring her back home on a wednesday.I will never commit this crime again.'' When he completed his prayer, the other man just dissapeared and hence the husband and wife came back safely to their own home.After that day both husband and wife started keeping the fast of the Trayodashi falling on a Wednesday.

Aum Namah Shivaya

बुधवार प्रदोष / त्रयोदशी व्रत कथा

१. इस व्रत मैं केवल एक ही बार भोजन करना चाहिए ।
२. इस व्रत में हरी वस्तुओं का प्रयोग किया जाना ज़रूरी है ।
३. यह व्रत शंकर भगवान का व्रत है शंकर जी कि पूजा धुप , बेलपत्र आदि से कि जाती है ।

प्राचीन काल की कथा है ।एक पुरुष का नया - नया विवाह हुआ था वह गौने के बाद दूसरी बार पत्नी को लिवाने के लिए ससुराल पहुंचा और उसने सास को कहा बुधवार के दिन ही पत्नी को लेकर अपने नगर जायेगा । उसके सास - ससुर और साले - सालियों उसे समझाया की बुधवार को पत्नी को विदा कर ले जाना शुभ नहीं है ।लेकिन वह पुरुष अपनी जिद्द से टस से मस नहीं हुआ ।विवश होकर माता पिता को अपनी पुत्री को भरी मन से विदा करना पडा ।


पति - पत्नी बैलगाड़ी में चले जा रहे थे । एक नगर के बहार निकलते ही पत्नी को प्यास लगी । पति लोटा लेकर पत्नी के लिय्रे पानी लेने गया । पानी लेकर जब वह वापिस लौटा तो उसके क्रोध और आश्चर्य की सीमा न रही , क्यूंकि उसकी पत्नी किसी अन्य पुरुष के लाये लोटे में से पानी पीकर हंस हंसकर बातें कर रही थी । क्रोध में वह उस आदमी से झगडा करने लगा । मगर यह देखकर उसके आश्चर्य की सीमा न रही की उस पुरुष की शकल उस आदमी से बिलकुल मिलती थी ।जब हमशकल आदमियों को आपस में झगडा करते देख बहुत समय हो गया तो वहा आने - जाने वालों की भीढ़ इकठ्ठा हो गयी , सिपाही भी आ गया सिपाही ने पुछा की इन दोनों में से कौन सा आदमी तेरा पति है ?स्त्री बेचारी असमंजस में पड़ गयी क्यूंकि दोनों की शकल एक दुसरे से बिलकुल मिलती थी । इस तरह अपना सब कुछ बर्बाद होते देखकर उस पुरुष की आँख भर आई वह शंकर भगवान से प्रार्थना करने लगा की '' हे भगवान मेरी और मेरी पत्नी की रक्षा करो । मुझसे बड़ी भूल हुई की मैं बुधवार के दिन पत्नी को विदा कर लाया ।भविष्य में ऐसा कभी नहीं करूँगा ।उसकी प्रार्थना जैसे ही पूरी हुई कि दूसरा पुरुष अंतर्ध्यान हो गया और वह पुरुष सकुशल अपनी पत्नी के साथ अपने घर पहुँच गया ।उस दिन के बाद पति पतन नियमपूर्वक बुधवार प्रदोष व्रत रखने लगे ।

ॐ नमः शिवाय

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