Tuesday, May 3, 2011

अष्टावक्र: शिव पार्वती - शिव दरबार में आदिवासियों और बाघ का ...

अष्टावक्र: शिव पार्वती - शिव दरबार में आदिवासियों और बाघ का ...: "आदिवासियो ने दूर दूर तक फ़ैले बांझ इमारती जंगलो मे वन विभाग के कोप से बचे हुये एक्का दुक्का फ़ल और फ़ूलदार पेड़ो से एकत्रित स्वादिष्ट फ़ल फ़ूल..."


आदिवासियो ने दूर दूर तक फ़ैले बांझ इमारती जंगलो मे वन विभाग के कोप से बचे हुये एक्का दुक्का फ़ल और फ़ूलदार पेड़ो से एकत्रित स्वादिष्ट फ़ल फ़ूलों और पत्तियो के चढ़ावे के साथ नंदी की पूजा की प्रसन्न होकर नंदी प्रकट हुये । आदिवासियो ने बिलखते हुये अपनी व्यथा सुनाई । इन बाघो ने जीना हराम कर दिया है एक तो पहले ही इन बाघो को बचाने के नाम पर हमारा जंगल मे प्रवेश बंद कर दिया गया है उसके बाद अब हमको इनके नाम से विस्थापित किया जा रहा है उपर से ये बाघ हमारी सुंदर सुंदर गायो को मार के खा जाता है वो अलग ।


इसके अलावा हमारे उपर भी हमला कर मार देते हैं और तो और ऐसा होने पर शहरी बाघ प्रेमी खुश होते हैं कि अच्छा मारा साले को जंगल मे घुसते हैं । हे नंदी शहरी पर्यावरणविदो और खदान पतियो को हम ही दुश्मन लगते हैं आप हमारी रक्षा करें इन सब बातो को ( खास कर सुंदर गायो वाली ) सुनकर नंदी के नथुने फ़ड़क उठे वे तुरंत आदिवासियो का प्रतिनिधी मंडल लेकर कैलाश की ओर चल पड़े । यह खबर सुनते ही बाघो ने माता पार्वती की वीआईपी ड्यूटी मे लगे अपने साथी के मार्फ़त अपने प्रतिनिधी मंडल को भी भेजा

कोलाहल सुन चैन से सो रहे भोलेनाथ हड़बड़ा कर बाहर आये और पूछा क्यो शोर मचा रहे हो भाई । नंदी ने बाघो पर आरोपो की झड़ी लगा दी और सुंदर गायो के विषय पर तो वे बेकाबू ही हो गये थे । माता का प्राईवेट बाघ शेरू भी पीछे न था उसने भी आरोप लगाना शुरू कर दिये ये आदिवासी बाघो को जहर दे देते हैं गलती से कोई बाघ इनके गांव पहुच जाये तो लाठियो से पीट कर मार देते हैं । यहां तक की चैन से प्रेमालाप भी करने नही देते पर्यटको की जिप्सी लेकर पीछे पड़ जाते हैं चोर शिकारियो तस्करो की मदद करते हैं वो अलग।


भगवान शंकर बोले आदिवासियों मै तुम्हारी कोई मदद नही कर सकता बाघ राष्ट्रीय पशु है और तुम राष्ट्रीय नागरिक तो छोड़ो नागरिक भी नही हो । हां एक काम मै कर सकता हूं अगर तुम शहर जा कर झुग्गी मे बस जाओ तब तुम भारत के नागरिक बन जाओगे और मै तुमको ३ रूपये वाला सस्ता चावल बच्चो को मध्यान भोजन बस्ता कापी और लड़कियों को साईकिल आदि दिलवा दूंगा । जंगल मे रहोगे तो ताड़्मेटला जैसे जला दिये जाओगे और विपक्ष का नेता तो क्या मैं भी दस दिन तक वहां पहुच नही पाउंगा । फ़िर भगवान ने कुछ नरम पड़ते हुये कहा बेटा सलवा जुड़ूम और नक्सलवाद की चक्की से बाहर निकलो और शहर जाकर झुग्गीवासी बन जाओ वहां कम से कम न्यूज चैनल वाले कभी कभी आते हैं और दिल्ली जाओ तो सबसे अच्छा रवीश कुमार आयेगा और तुम्हारी तकलीफ़ें देश को बतायेगा ।



घर गांव छोड़ने की बात सुनते ही दुखी आदिवासी आखों मे पानी भर गिड़गिड़ाये


आदिवासी बैरी और बाघ है प्यारा ।

कहो प्रभु अपराध हमारा ॥



प्रभु कुछ कहते उसके पहले ही पीछे से माता की आवाज आयी जब भगवान ही न्याय न करें तो भारत मे नेताओ को दोष देने का क्या फ़ायदा प्राणनाथ मुझे आप से ऐसी उम्मीद न थी । प्रभु ने शांतता से जवाब दिया अपनी इस हालात के जिम्मेदार भी ये है लोग । जब इनके जंगल कट रहे थे तो क्या इनकी अकल घांस चरने गयी थी क्यो लगने दिया इन लोगो ने अपने जंगलो मे सागौन नीलगिरी और साल के पेड़ क्यों नही उठ खड़े हुये एक जुट होकर अपने साथ साथ वन्यप्राणियो को पर्यावास भी खत्म होने दिया । नंदी ने अपील की प्रभु तब ये लोग अंजान थे इन्हे नही पता था कि इससे क्या हो जायेगा । प्रभु ने कहा अब तो अकल आ गयी है न , देखोएक अन्ना के खड़े होने से सरकार थर थर कांपने लगती है तो जब करोड़ो आदिवासी खड़े हो जायेंगे फ़िर क्या उनकी अकल ठिकाने नही आयेगी । पर नही इनमे से जिसको नेता होने का आशीर्वाद देता हूं दिल्ली जाकर सुरा सुंदरी के मजे मारने लगता है इनकी तो मै भी मदद नही कर सकता ।


इस पर माता ने उदास स्वर मे पूछा तो क्या प्रभू अब इनको मजदूरो का ही जीवन जीना पड़ेगा क्या अब अपने जंगलो मे खुशहाल जिंदगी नही बिता पायेंगे अगर आप मुझसे तनिक भी स्नेह करते हैं तो कुछ तो कीजिये । प्रभु ने मुस्कुराते हुये जवाब दिया आप कहें और मै न मानू ऐसा हो सकता है भला जैसे नेतागण भ्रष्टाचारियो के दिल मे राज करते हैं वैसे ही आप भी मेरे मन पर राज करतीं है । सुनिये आज से कुछ साल बाद जब देश में भुखमरी की हालत आयेगी तब यूरोप और अमेरिका के वैज्ञानिक गहन शोध करके यह पता लगायेंगे कि भारत मे जो इमारती लकड़ी के प्लांटेशन हैं अब वो किसी काम के नहीं है और उनके बदले फ़ल और फ़ूलदार पेड़ लगाने से आम जनता को शहद और फ़ल तथा पशुओं को चारा मिल सकता है । जिससे देश की भुखमरी दूर की जा सकती है तब मनमोहनी नीतियो से कंगाल हो चुके भारत को वर्ल्ड बैंक अरबो रूपये की सहायता देकर इस काम को करवायेगा तब ये आदिवासी रहेंगे तो मजदूर ही लेकिन कम से कम जंगल के शुद्ध वातावरण मे रह पायेंगे । बाघ और उसकी प्रजा के लिये भी उनमे भरपूर भोजन होगा और वे उनमे चैन से जी पायेंगे ।

नंदी अभी तक सुंदर गायो वाली बात भुला न पाये थे बोले इन बाघो का क्या है प्रभु ये तो इमारती पेड़ो के जंगलो मे भी रह लेते हैं इनके हिरणो को तो उनके पत्ते चल ही जाते होंगे । इस पर प्रभु ने मुस्कुराते हुये पूछा कभी सागौन और नीलगिरी के पत्ते खाये हैं क्या । बेटा माता के हाथ का खाना खा खा कर तुम जमीनी हकीकतों से अनजान हो आज शहर मे रहने वाली गाय और सरकारी जंगलो मे रहनी वाली गायो का दूध एक समान क्यों है । मियां नंदी अमूल बेबी का खिताब तुमको मिलना चाहिये राहुल गांधी को नहीं । फ़जीहत से बचने नंदी ने टी वी पर इंडिया टीवी लगाया और सारे शिव गण प्रभु के लंका दौरे की सच्चाई सुनने मे मगन हो गये ।

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