शाम के वक्त एक साहित्य प्रेमी अमीर मित्र का फ़ोन आया उनके फ़ार्म हाउस मे वाईन एंड डाईन का न्योता था । मुफ़्त मे पैग लगाने की खुशी मे मै दनदनाता पहुंच गया । वहां एक सज्जन और विराजमान थे मित्र ने मेरा उनसे परिचय करवाया वे मध्य भारत के सबसे बड़े अखबार के मालिक और संपादक थे । उन्होने ससम्मान मुझसे हाथ मिलाया बैठने के बाद मित्र ने मेरा परिचय दिया भाईसाहब बड़े अच्छे व्यंग्य कार हैं । यह सुनते ही सज्जन के चेहरे पर तिरस्कार के भाव उभरे मन ही मन उन्होने अनुमान लगाया जरूर इस लेखक की चाल होगी पार्टी के बहाने अपने लेख पढ़वायेगा । पर टेबल पर रखी शीवाज रीगल की बोतल देख उनकी नाराजगी कुछ कम हो गयी मन मार कर बोले चलिये इसी बहाने आपसे मुलाकात हो गयी ।
मैने भी मन ही मन सोचा भाड़ मे जाये मुझे इससे क्या लेना देना अपन तो पैग लगाओ । यहां वहां की चर्चा होती रही और अखबार के मालिक साहब इंतजार करते रहे कि कब मै अपनी रचना उन्हे दिखाउंगा । दो राऊंड होने के बाद भी जब लेख प्रकाशित करने की कोई चर्चा न हुई तो मालिक साहब का माथा ठनका पांच राउंड होने के बाद तो सब गहरे मित्र बन जाते हैं ऐसे मे बात टालते न बनेगी । मालिक साहब ने बात मेरे लेखन पर मोड़ी भाई साहब कोई रचना साथ लाये हैं क्या मैने पूछा किस लिये हकबकाये मालिक साहब ने कहा अखबार मे छापने के लिये और क्यों । मैने पूछा किस अखबार में वे बोले मै छापूंगा तो अपने अखबार मे ही ना लगता है आप मेरी बात कुछ समझे नही । मैने कहा आप तो कोई अखबार निकालते ही नहीं मालिक साहब ने असहाय भाव से मित्र की ओर देखा मानो कह रहें हो दो पैग मे लग गयी है ।
मालिक साहब ने याद दिलाया वे फ़लां अखबार के मालिक संपादक हैं । मैने पलट कर जवाब दिया वो अखबार नही सरकार का मुखपत्र है भाट और चारण जैसा अंतर यही है कि सरकार की छोटी मोटी गलतिया छाप दी जाती है । हां कभी कभी उसमे मंहगाई का जिक्र भी कर दिया जाता है । मालिक साहब बैकफ़ुट पर थे आप गलत समझ रहे हैं हमारा अखबार दूसरो से अलग है हम किसी के दबाव मे नही आते । मैने कहा आम जनता को टोपी पहनाईगा मुझे नही । सरकार केहर विभाग मे खुला कमीशन बट रहा है घपले हो रहे हैं और आपके पत्रकार भी भीख मांगते वहीं पाये जाते हैं कभी छापा आपने । क्या छापते हैं आप "अन्ना हजारे ने अपने भांजे को कांग्रेस मे भरती किया" "बाबा रामदेव खुद को राम कह रहे हैं" । शांती भूषण नजर आ रहा है आपको भ्रष्टाचार का प्रदूषण नही , सलवा जुड़ूम के नाम पर हो रहा अत्याचार तो खैर आपको मालूम ही न होगा नक्सलवाद की चक्की पर पिस रहे आदिवासियो के बारे में क्या किया आपने कुछ नही । छापते क्या हैं आप चमत्कारी अंगूठी फ़र्जी बाबाओ के विज्ञापन और तो और वो लिंगवर्धक यंत्र कभी उपयोग किया है आपने क्या मालिक साहब जो दूसरो को बतलाते हो ।
बात बिगड़ती देख मालिक साहब ने समझौते का प्रयास किया आप इतने जोशीले आदमी हैं लेख भी जानदार लिखते होंगे मैने कहा लिखता तो हूं पर छापने की हिम्मत आपमे न होगी । छाप पायेंगे उन कंपनियो की काली करतूत जिनके शेअर आपने सस्ते दामो मे ले रखे हैं । जिनके करोड़ो रूपये के एड आपके मुखपत्र को मिलते हैं । आप तो छापिये दलित लड़की से बलात्कार सड़क हादसे ब्लागरो से चुराये हुये लेख । हे फ़्री प्रेस के चाचा फ़्री मे ब्लागरो के लेख पाओ और जनता को दिखाने के लिये बड़े नाम की तारे और मच्छर पर घटिया तुकबंदी छपवाओ । आज भारत का चौथा स्तंभ न बिकता तो मजाल है भारत मे ये भ्रष्टासुर पैदा हो जाता ।
अब तक चार राउंड हो चुके थे और मालिक साहब भी क्रोध मे आ चुके थे । वे जोर से चिल्लाये रे बेवकूफ़ भारतीय आम आदमी इसके जिम्मेदार खुद तुम लोग हो तुमको हर चीज फ़ोकट मे चाहिये पैसा जेब से एक न निकलेगा बस दुनिया मुफ़्त मे तुम्हारी रक्षा करे । दो रूपये किलो वाला सस्ता चावल जैसे २ रूपये मे सस्ता अखबार चाहिये तो कनकी ही मिलेगा बासमती नही । बीस रूपया महिना खर्चा कर एक पत्रिका तो खरीदना नही है कहां से रूकेगा भ्रष्टाचार । कागज का दाम मालूम है अखबार के खर्चे कैसे पूरे होते होंगे कभी सोचा है । तुम खुद पैसा कमाओ तो ठीक और हम लोग तुम्हारे लिये भूखा मरें । बात ध्यान से सुन हम लोग तुझको अखबार बेचते नहीं है सस्ते दाम मे तुझे देकर तुझको खरीद लेते हैं । फ़िर हम तुझे बेचते हैं उन कंपनियो को जो हमे तुम्हारा सही दाम देती हैं उन नेताओ को जो तुम्हारे पैसे मे ऐश करते हैं और हमे भी करवाते हैं । पैसा देकर तुम्हारी तरह फ़ोकट नही । और सुन तुझे और लोग भी खरीदते हैं सी आई ए से लेकर तमाम विदेशी ताकि वे अपने हिसाब का लेख छपवा कर भारत मे मन माफ़िक जनमत तैयार करवाएं और अपना माल खपाएं । किसी पेपर मे पढ़ता है क्या कि अमेरिकी विमान रूस के समान विमान से डेढ़ गुनी कीमत के पड़ते हैं । या परमाणू रियेक्टर की कीमतो का तुलनात्मक अध्ययन । नही न क्यों क्योंकि तुम लोग पैसा नही देते उन लोग देते हैं । तो हे फ़ोकट चंद भिनभिनाना बंद कर और चैन से मुझे पैग लगाने दे ।
मैने फ़जीहत से बचने के लिये अपने मित्र की ओर देखा पर वह तो चैन से मजा ले रहा था अब मुझे समझ मे आया ये सारा युद्ध प्रायोजित था मै और मालिक साहब रोमन ग्लेडिएटर की तरह उसके मजे के लिये लड़ रहे थे । मैने प्रतिरोध किया देशभक्ती भी कोई चीज है कि नही । मालिक साहब बोले है क्यो नही हम लोग दाल मे नमक की तरह उसको भी इस्तेमाल करते हैं तभी तो ये देश आज बचा हुआ है राष्ट्रीय सुरक्षा के मामले मे हम कोई समझौता नही करते अरे भाई अगर देश ही नही रहेगा तो फ़िर तो हम पत्रकार ही जूते खायेंगे और देश को बचाएंगे । पर भाई लोगो को जब इंडिया टीवी देखने मे मजा आ रहा है तो कोई क्यो खोजी पत्रकारिता कर अपना जीवन बरबाद करे ।
अब तक पांच राउंड हो चुके थे और हम दोनो गहरे मित्र भी बन चुके थे । मालिक साहब बोले यार वैसे तू बंदा बड़ा जोशीला है तुझे व्यस्त न किया गया और सरकारी माल न दिया गया तो बड़ा नक्सली नेता बन जायेगा और मारा जायेगा । एक काम कर भाई तू कल से मेरे आफ़िस आजा दिन भर यहां वहां से सामग्री चुराना और जरा जोश भर के उसमे हेर फ़ेर कर देना तू भी खुश रहेगा और मुझे भी चैन से पीने और जीने देगा । मालिक साहब के विदा होने के बाद मैने दोस्त को धिक्कारा साले तू अपने ही दोस्तो का मजा लेता है । मित्र भी दार्शनिक बन गया मालिक साहब की बात भूल गया कोई भी चीज फ़ोकट मे नही मिलती बेटा दारू का खर्चा मैने किया था तो मजे लेने के लिये ही ।
मैने भी मन ही मन सोचा भाड़ मे जाये मुझे इससे क्या लेना देना अपन तो पैग लगाओ । यहां वहां की चर्चा होती रही और अखबार के मालिक साहब इंतजार करते रहे कि कब मै अपनी रचना उन्हे दिखाउंगा । दो राऊंड होने के बाद भी जब लेख प्रकाशित करने की कोई चर्चा न हुई तो मालिक साहब का माथा ठनका पांच राउंड होने के बाद तो सब गहरे मित्र बन जाते हैं ऐसे मे बात टालते न बनेगी । मालिक साहब ने बात मेरे लेखन पर मोड़ी भाई साहब कोई रचना साथ लाये हैं क्या मैने पूछा किस लिये हकबकाये मालिक साहब ने कहा अखबार मे छापने के लिये और क्यों । मैने पूछा किस अखबार में वे बोले मै छापूंगा तो अपने अखबार मे ही ना लगता है आप मेरी बात कुछ समझे नही । मैने कहा आप तो कोई अखबार निकालते ही नहीं मालिक साहब ने असहाय भाव से मित्र की ओर देखा मानो कह रहें हो दो पैग मे लग गयी है ।
मालिक साहब ने याद दिलाया वे फ़लां अखबार के मालिक संपादक हैं । मैने पलट कर जवाब दिया वो अखबार नही सरकार का मुखपत्र है भाट और चारण जैसा अंतर यही है कि सरकार की छोटी मोटी गलतिया छाप दी जाती है । हां कभी कभी उसमे मंहगाई का जिक्र भी कर दिया जाता है । मालिक साहब बैकफ़ुट पर थे आप गलत समझ रहे हैं हमारा अखबार दूसरो से अलग है हम किसी के दबाव मे नही आते । मैने कहा आम जनता को टोपी पहनाईगा मुझे नही । सरकार केहर विभाग मे खुला कमीशन बट रहा है घपले हो रहे हैं और आपके पत्रकार भी भीख मांगते वहीं पाये जाते हैं कभी छापा आपने । क्या छापते हैं आप "अन्ना हजारे ने अपने भांजे को कांग्रेस मे भरती किया" "बाबा रामदेव खुद को राम कह रहे हैं" । शांती भूषण नजर आ रहा है आपको भ्रष्टाचार का प्रदूषण नही , सलवा जुड़ूम के नाम पर हो रहा अत्याचार तो खैर आपको मालूम ही न होगा नक्सलवाद की चक्की पर पिस रहे आदिवासियो के बारे में क्या किया आपने कुछ नही । छापते क्या हैं आप चमत्कारी अंगूठी फ़र्जी बाबाओ के विज्ञापन और तो और वो लिंगवर्धक यंत्र कभी उपयोग किया है आपने क्या मालिक साहब जो दूसरो को बतलाते हो ।
बात बिगड़ती देख मालिक साहब ने समझौते का प्रयास किया आप इतने जोशीले आदमी हैं लेख भी जानदार लिखते होंगे मैने कहा लिखता तो हूं पर छापने की हिम्मत आपमे न होगी । छाप पायेंगे उन कंपनियो की काली करतूत जिनके शेअर आपने सस्ते दामो मे ले रखे हैं । जिनके करोड़ो रूपये के एड आपके मुखपत्र को मिलते हैं । आप तो छापिये दलित लड़की से बलात्कार सड़क हादसे ब्लागरो से चुराये हुये लेख । हे फ़्री प्रेस के चाचा फ़्री मे ब्लागरो के लेख पाओ और जनता को दिखाने के लिये बड़े नाम की तारे और मच्छर पर घटिया तुकबंदी छपवाओ । आज भारत का चौथा स्तंभ न बिकता तो मजाल है भारत मे ये भ्रष्टासुर पैदा हो जाता ।
अब तक चार राउंड हो चुके थे और मालिक साहब भी क्रोध मे आ चुके थे । वे जोर से चिल्लाये रे बेवकूफ़ भारतीय आम आदमी इसके जिम्मेदार खुद तुम लोग हो तुमको हर चीज फ़ोकट मे चाहिये पैसा जेब से एक न निकलेगा बस दुनिया मुफ़्त मे तुम्हारी रक्षा करे । दो रूपये किलो वाला सस्ता चावल जैसे २ रूपये मे सस्ता अखबार चाहिये तो कनकी ही मिलेगा बासमती नही । बीस रूपया महिना खर्चा कर एक पत्रिका तो खरीदना नही है कहां से रूकेगा भ्रष्टाचार । कागज का दाम मालूम है अखबार के खर्चे कैसे पूरे होते होंगे कभी सोचा है । तुम खुद पैसा कमाओ तो ठीक और हम लोग तुम्हारे लिये भूखा मरें । बात ध्यान से सुन हम लोग तुझको अखबार बेचते नहीं है सस्ते दाम मे तुझे देकर तुझको खरीद लेते हैं । फ़िर हम तुझे बेचते हैं उन कंपनियो को जो हमे तुम्हारा सही दाम देती हैं उन नेताओ को जो तुम्हारे पैसे मे ऐश करते हैं और हमे भी करवाते हैं । पैसा देकर तुम्हारी तरह फ़ोकट नही । और सुन तुझे और लोग भी खरीदते हैं सी आई ए से लेकर तमाम विदेशी ताकि वे अपने हिसाब का लेख छपवा कर भारत मे मन माफ़िक जनमत तैयार करवाएं और अपना माल खपाएं । किसी पेपर मे पढ़ता है क्या कि अमेरिकी विमान रूस के समान विमान से डेढ़ गुनी कीमत के पड़ते हैं । या परमाणू रियेक्टर की कीमतो का तुलनात्मक अध्ययन । नही न क्यों क्योंकि तुम लोग पैसा नही देते उन लोग देते हैं । तो हे फ़ोकट चंद भिनभिनाना बंद कर और चैन से मुझे पैग लगाने दे ।
मैने फ़जीहत से बचने के लिये अपने मित्र की ओर देखा पर वह तो चैन से मजा ले रहा था अब मुझे समझ मे आया ये सारा युद्ध प्रायोजित था मै और मालिक साहब रोमन ग्लेडिएटर की तरह उसके मजे के लिये लड़ रहे थे । मैने प्रतिरोध किया देशभक्ती भी कोई चीज है कि नही । मालिक साहब बोले है क्यो नही हम लोग दाल मे नमक की तरह उसको भी इस्तेमाल करते हैं तभी तो ये देश आज बचा हुआ है राष्ट्रीय सुरक्षा के मामले मे हम कोई समझौता नही करते अरे भाई अगर देश ही नही रहेगा तो फ़िर तो हम पत्रकार ही जूते खायेंगे और देश को बचाएंगे । पर भाई लोगो को जब इंडिया टीवी देखने मे मजा आ रहा है तो कोई क्यो खोजी पत्रकारिता कर अपना जीवन बरबाद करे ।
अब तक पांच राउंड हो चुके थे और हम दोनो गहरे मित्र भी बन चुके थे । मालिक साहब बोले यार वैसे तू बंदा बड़ा जोशीला है तुझे व्यस्त न किया गया और सरकारी माल न दिया गया तो बड़ा नक्सली नेता बन जायेगा और मारा जायेगा । एक काम कर भाई तू कल से मेरे आफ़िस आजा दिन भर यहां वहां से सामग्री चुराना और जरा जोश भर के उसमे हेर फ़ेर कर देना तू भी खुश रहेगा और मुझे भी चैन से पीने और जीने देगा । मालिक साहब के विदा होने के बाद मैने दोस्त को धिक्कारा साले तू अपने ही दोस्तो का मजा लेता है । मित्र भी दार्शनिक बन गया मालिक साहब की बात भूल गया कोई भी चीज फ़ोकट मे नही मिलती बेटा दारू का खर्चा मैने किया था तो मजे लेने के लिये ही ।
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